चांदीपुरा वायरस (CHPV) संक्रमण
Chandipura virus (CHPV) के चपेट में आने से गुजरात के साबरकांठा जिले में चार बच्चों की मौत हो चुकी है एवं दो बच्चों का इलाज़ हिम्मतनगर के सिविल हॉस्पिटल में हो रहा है। ये सभी बच्चे भारत के पश्चिमी राज्यों से आते है। स्थानीय अधिकारियों ने सभी छः बच्चों की रक्त नमूने(Blood Sample) को गहन जांच के लिए पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (National Institute of Virology) भेज दिया है जिसका विस्तृत जाँच रिपोर्ट अगले पांच – छह दिनों में आने की उम्मीद जताई जा रही है।
स्थानीय अधिकारियों द्वारा एतिहात बरतते हुए चांदीपुर वायरस (CHPV) से प्रभावित इलाको में sandflies को मारने केलिए धूल का छिड़काव, अन्य प्रकार प्रकार के दवाइयों को उपयोग में ले रही है, साथ ही प्रभावित क्षेत्रों में जन जागरूकता अभियान, मच्छरों के रोकथाम एवं संदिग्ध मामलो पर नजर बनायी हुई है।
Chandipura virus (CHPV) क्या है
Chandipura virus (CHPV) द्वारा सामान्यतः बच्चों को सबसे ज्यादा चपेट में लेते हुए देखा गया है, यह अपेक्षाकृत सामान्य लोगों के बीच कम जाने जाना वाला वायरस है जो रोगाणु रैबडोविरिडे (Rhabdoviridae) परिवार के वेसिकुलोवायरस (Vesiculovirus) जाति का सदस्य है, इस वायरस से संक्रमित मरीज में फ्लू के लक्षण, बुखार एवं इंसेफेलाइटिस देखे गए हैं जो तेजी से मस्तिष्क में सूजन लाता है। Chandipura virus (CHPV) को मच्छर, टिक, और रेत मक्खियाँ जैसे रोगाणुवाहक फैलाते हैं इस वायरस से संक्रमित मरीज बहुत तेजी से बीमार, कोमा, और यहाँ तक की मौत के चपेट में जा सकता है।
Chandipura virus (CHPV) के लक्षण
Chandipura virus (CHPV) से संक्रमित मरीज में तेज बुखार, फ्लू के तरह लक्षण, उलटी, सिरदर्द, इंसेफेलाइटिस (तेजी से मस्तिष्क में सूजन) आदि लक्षण सामान्य रूप से पाए जाते है, कभी कभी बेहोशीपन, कोमा आदि लक्षण भी देखें जाते है एवं गंभीर मामलो में मौत तक हो जाती है।
Chandipura virus (CHPV) से बचाव के उपाय (Precaution)
Chandipura virus से बचाव के एंटीवायरल अभी उपलब्ध नहीं है ऐसे में Chandipura virus से बचने के लिए इसे फैलाने वाले कीटो (मच्छर, टिक, और रेत मक्खियाँ आदि ) से खुद को बचाये रखें। इन कीटो को मारने केलिए रेत, कीटनाशक दवाईयों का प्रयोग करे। सोने के समय आवश्यक रूप से मच्छरदानी का प्रयोग करे एवं ऐसे कपड़ो को पहने जिससे शरीर का ज्यादातर भाग ढका हो। इस वायरस के संक्रमण से आये लक्षण का इलाज करें।
Chandipura virus (CHPV) का इतिहास एवं खोज
Chandipura virus (CHPV) को सर्वप्रथम 1965 ईसवी में महाराष्ट्र के चांदीपुर गांव पाया गया, चांदीपुर गांव के नाम इस वायरस का नाम Chandipura virus पड़ा। इसके बाद लगातार कई बार इसका प्रकोप देखा जा चूका है, जून – अगस्त 2003 में आँध्रप्रदेश एवं महाराष्ट्र में फैले इस वायरस ने 329 बच्चों संक्रमित किया जिनमे से 129 बच्चों की मौत हो गयी, 2009 में इस वायरस से संक्रमित 52 में से 19 की मौत हो गयी, 2010 में 50 वायरस से संक्रमित लोगों में से 16 की मौत हो गयी। इस तरह लगातार इस वायरस के लोग संक्रमित होते है जिनमे से ज्यादातर बच्चो की उम्र 15 से अंदर पायी गयी है।
Chandipura virus (CHPV) से जुड़े शोध (research)
Indian Journal of Medical Research में प्रकाशित एक शोध Diversity of sandflies in Vidarbha region of Maharashtra, India, a region endemic to Chandipura virus encephalitis के मुताबिक Chandipura virus (CHPV) 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में एन्सेफलाइटिस का वजह है इसके कारण मृत्यु दर 56 से 78 प्रतिशत तक हो सकती है। इस अध्ययन में बड़ी संख्या में sandflies के विभिन्न प्रजातियों को शामिल किया गया था।
एक दूसरी अध्ययन AN OUTBREAK OF CHANDIPURA VIRUS ENCEPHALITIS IN THE EASTERN DISTRICTS OF GUJARAT STATE, INDIA जो 2005 में The American Journal of Tropical Medicine and Hygiene में प्रकाशित की गयी। इस अध्ययन के encephalitis के 26 मामलों के नमूना में 3 मरीजों में Chandipura virus के IgM एंटीबाडीज पाया गया।